कोई भी द्विध्रुवी चुंबक पृथ्वी पर उपर उड़ने की बजाये कम्पास की सुई के जैसे घुमते रह जायेगा क्योंकि पृथ्वी स्वंय एक चुंबक है।
2.
कोई भी द्विध्रुवी चुंबक पृथ्वी पर उपर उड़ने की बजाये कम्पास की सुई के जैसे घुमते रह जायेगा क्योंकि पृथ्वी स्वंय एक चुंबक है।
3.
यदि यह कल्पना की जाए कि सूर्य का चुंबकीय क्षेत्र द्विध्रुवी चुंबक के कारण है, जिसका अक्ष सूर्य के परिक्रामी अक्ष की दिशा में है, तो चुंबकीय क्षेत्र की रेखाएँ विषुवतीय प्रदेशों में त्रिज्याओं के साथ अधिक कोण बनाएँगी तथा ध्रुवीय प्रदेशों में वे त्रिज्याओं की दिशाओं का लगभग अनुसरण करेंगी।